गुरुवार, 11 जून 2020

कविता :मौसम के इशारे

" मौसम के इशारे "

इस मौसम के इशारे पर,
होने लगी है पानी की बौछार | 
सो रहे पेड़ों को जगा रही,
भीषड़ गर्मी को भगा रही है | 
पानी की सुनहरी बूंदों को गिरा रही है,
घास और पत्तों को भिगा रही हैं | 
तालाबों को पानी भर सजा रही है,
प्यासे को जी भर पानी पीला रही है | 
वातावरण की शान बढ़ा रही है,
प्रदूषण को जड़ से हटा रही है
जीवन की अवधि को और बढ़ा रही है 

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

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