गुरुवार, 11 जून 2020

कविता : टीवी

" टीवी "

टीवी तो हर समय देखते हैं,
जिससे समय भी जल्दी कट जाता है | 
कुछ सोच भी नहीं पाते हैं,
कुछ समय पलकें भी झपकना भूल जाते हैं | 
रिमोट की बटनें बस हाथों में होती,
सीरियल देखने के लिए बहन रोती | 
पर क्या करें वह है छोटी,
हमेशा मेरी ही मर्जी होती | 
पढ़ाई सब चौपट कर जाए,
रिसल्ट में अब जीरो ही आय | 
अब पापा ने लगाई मुझे डाँटा,
नहीं पढ़ेगा तो लगाऊँगा चाँटा | 
समय से पढ़ाई फिर देखो टीवी,
नहीं तो बंद होगी हमेशा के लिए टीवी | 

कवि : नवलेश कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें