शुक्रवार, 29 मई 2020

कविता : महामारी

" महामारी "

लोगों के आँखों में आँसूं देकर,
मैनें डॉक्टर की सलाह माँगी है | 
इस दुनियाँ को बचाने के लिए,
अपनी जान को जोखिम में डाली है | 
लोगों के दुःख दर्द को महसूस किया 
अपनी जिंदगी छोड़ और की जिनदगी जिया | 
लोग तड़प कर बीमारी से मर रहें हैं,
सब चुप है पर कुछ नहीं कर रहे |
इस महामारी में जाति धर्म है 
इस बार केवल एक दूजे के लिए मर्म हो | 
लड़ना है इस महामारी से अगर,
मिल जुलकर चलना होगा हर डगर | 

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बैहर के नवादा के रहने वाले हैं |  सुल्तान को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है | वर्तमान समय को देख इस कविता का शीर्षक " महामारी " दिया है |
 

3 टिप्‍पणियां:


  1. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    31/05/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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