शुक्रवार, 29 मई 2020

कविता : गर्मी में बेहाल

" गर्मी में बेहाल "

इस गर्मी में हालत है ख़राब,
दुनियाँ वाले हो जाएगें बेहाल | 
पेड़ - पौधे हो गए सूखे,
कुछ लोग बैठे हैं भूखे | 
हवाएँ भी रुख मोड़ लिया,
गर्मी को हमसे जोड़ दिया | 
पंखें कूलर सब हो गए बेकार,
गर्मी से सब हो गए बेकार | 
बाहर जाना हो गया बंद,
बच्चे हो गए तंग |
इस गर्मी में हालत है ख़राब,
दुनियाँ वाले हो जाएगें बेहाल | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " गर्मी में बेहाल " कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | डांस करना भी बहुत अच्छा लगता है | 

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