मंगलवार, 24 मार्च 2020

कविता : रंगों की होली

" रंगों की होली "

होली है रंगों का त्यौहार,
बच कर रहना मेरे यार |
अबीर -गुलाल लगा रहे हैं,
अच्छा - अच्छा खिला रहे हैं |
सबको रंग लगा रहे हैं
उड़ रहा है रंगों का फौवार,
ख़ुशी से मना रहे हैं त्योहार |
गीले पड़ें हैं सारे रास्ते,
कैसे चलूँ किसी के वास्ते |
पापड़ों में भी है अलग स्वाद,
 यही है रंगों का त्यौहार मेरे यार |
होली है रंगों का त्यौहार,
बच कर रहना मेरे यार |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप पढ़ -लिखकर एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |   पढ़ने में बहुत ही होशियार है और अपने समाज और परिवार वालों  चाहते हैं |

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