रविवार, 21 जुलाई 2019

कविता : नोटबन्दी

" नोटबन्दी "

लोग हो गए हैं बेहाल, 
पुराने नोटों का हुआ हलाल | 
अमीर हो गए बेमिशाल ,
गरीब हो गए लालम - लाल | 
क्योंकि पुराने नोटों के हो गए जमाना, 
लोग एक - दूजे के हुए परमाना | 
मोदी ने किया पुराने नोटों का खात्मा, 
काले  धंदे वालों की शांत हुई आत्मा | 
कवि : कामता  कुमार , कक्षा : 8th ,अपनाघर

कवि परिचय : यह कविता कामता ने नोटबंदी पर लिखी है जिस समय लोगों के हालात बहुत ही गंभी थे | कामता ऐसे ही रोचक भरी कवितायेँ लिखने के लिए जाने जाते हैं | कामता बिहार के निवासी हैं |

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