रविवार, 28 अप्रैल 2019

कविता : बाल मजदूर

 "बाल मजदूर "

नाजुक हाथों ने क्या कर दिया पाप, 
जन्म से ही दे दिया कामों का वनवास |
कलियों जैसी खिलने वाले उस मासूम, 
जिंदगी को कर दिया तबाह |
हर बचपन के लम्हों को, 
हर सजाये हुए सपनों को |
दो मिनुट में कर दिया राख,
दर्दनाक जिंदगी उसे तडपा दिया |
बचपन के खिलौनों की जगह,
 जिंदगी से लड़ना सिखा दिया | 
पेन ,किताब और कॉपी की जगह, 
कम का बोझ इर पर लाद दिया |

नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 7 , अपनाघर


कवि परिचय : यह हैं विक्रम जिन्होंने यह कविता लिखी है, जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | विक्रम को कवितायेँ अच्छे से लिखी आती है | विक्रम ज्यादातर समाज पर लिखते हैं और उस कविता के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं | बड़े होकर एक नेक इंसान बनना चाहते है |  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें