मंगलवार, 12 मार्च 2019

कविता : भुला न पाउँगा

" भुला न पाउँगा "

आँखों में तेरे आँसू न देख पाउँगा,
चाहत मैं तेरी भुला न पाउँगा |
दिल में मेरे दर्द है ऐसा,
तुमसे न छिपा पाउँगा |
तेरी इस तनहाई में
रातों की परछाई में |
तुम्हें याद करता हूँ,
कुछ गलत न हो यह फ़रियाद करता हूँ |
हवाएँ भी कुछ कहने लगी हैं,
तुम बिन सुना रहने लगी हैं |
आँखों में तेरे आँसू न देख पाउँगा,
चाहत मैं तेरी भुला न पाउँगा |

                                                                                                      कवि : विशाल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता विशाल कुमार के द्वारा लिखी गई है जो की मुख्या रूप से हरदोई जिले के निवासी है परन्तु अभी वह अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे है | विशाल को खाना बनाने का बहुत शौक है और वह फॉरेन डिश भी बना लेते हैं | विशाल को गीत लिखने जका बहुत शौक है |  

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