शुक्रवार, 1 मार्च 2019

कविता : सबक सिखाना है

" सबक सिखाना है "

जान हथेली पर लेकर,
चले जा रहे थे कश्मीर |
जैसे पहुंचे पुलवामा गांव पर
हुआ धमाका वहाँ पर |
बचने की न थी कोई ख्वाइश,
चल बसे दुनिया से ये शाहिर |
अपने को मार कर,
खुद हो गया शहीद  |
इसका बदला हमें चुकाना है,
आतंकवादी को सबक सिखाना है |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर


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