सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

कविता : खोने आदत सी हो गई है

" खोने आदत सी हो गई है "

हर साल यूँ ही आता रहेगा,
हम ऐसे ही जीते रहेंगे |
कोई कुछ नहीं कर सकेगा,
अपनी जिंदगी ऐसे ही खोते रहेंगे |
कुछ बातें दिल में रह गई,
कुछ राते सुबह में बदल गई |
पत्ते सूखकर गिर गए,
बारिश ने भी मुँह मोड़ लिया |
हर साल यूँ ही जाता रहेगा,
हम ऐसे ही जीते रहेगा |
अब लगता है इसकी आदत सी हो गई,
पाने से पहले खोने आदत सी हो गई है |


कवि : विशाल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर


कवि परिचय : यह कविता विशाल के द्वारा लिखी गई है जो की हरदोई जिले के निवासी है | विशाल को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और अपनी कविता को अच्छे से लिखते है जिससे की कोई सन्देश मिले | विशाल को नई डिश बनाना बहुत अच्छा लगता है |
 

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