शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

कविता : आसमां को छूकर आऊँगा

 " आसमां को छूकर आऊँगा "

मैं  सूरज की रौशनी बनकर, 
उजाला धरती पर पहुँचाऊँगा | 
जो मैंने कुछ बनने के सपने देखे थे, 
वह मैं जीवन में सच कर दिखाऊँगा | 
जितनी भी बाधाएँ आएँगी,
हर पल साहस दिखाऊँगा | 
निडर होकर उस बाधा को, 
मुकाबला कर दिखाऊँगा |  
जोश और साहस को जगाऊँगा, 
जमीं आसमां को छूकर आऊँगा | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th ,  अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं विक्रम जो की बिहार के रहने वाले हैं और अभी में रहकर अपनी पढ़ाई कर  | विक्रम की कवितायेँ हमेशा हम सभी को प्रेणना देती हैं हमें कभी भी जल्द ही हार नहीं माननी चाहिए | विक्रम एक कविकार बनना चाहते हैं | 

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