शनिवार, 15 सितंबर 2018

कविता : हिंदुस्तान में पली बड़ी है हिंदी

" हिंदुस्तान में पली- बड़ी है हिंदी "

हिंदुस्तान में पली -बड़ी है हिंदी,
देश के हर गली में है हिंदी | 
जिह्वा के हर कण में है हिंदी,
मातृभाषा के हर शब्द में है हिंदी | 
मातृभाषा रूपी भाषा है हिंदी, 
शब्दों को जानने की  अभिलाषा है हिंदी | 
देश की शान बढ़ाता है हिंदी, 
जन -जन  पहचान बनाता है हिंदी | 
हिंदी की लालिमा को जानों,
हिंदी के अक्षरों को पहचानों | 
यह तो हिंदी भाषा का बहार है, 
इस भाषा में शब्दों का भंडार है | 
हिंदी में बिंदी लगाए रखना,
हिंदी भाषा की शान बढ़ाए रखना | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले है और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | यह कविता प्रांजुल ने हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में लिखी है जिससे की हम अपने देश की मातृभाषा को कभी नहीं भूले बल्कि इसकी चर्चा और दूसरों तक फैलाए | 

1 टिप्पणी:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 15/09/2018 की बुलेटिन, ध्यान की कला भी चोरी जैसी है “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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