सोमवार, 9 जुलाई 2018

कविता : पल भर की हँसी

" पल भर की हँसी "

क्यों उदास बैठा है मेरे दोस्त, 
एक पल के लिए  हँस तो सही | 
हँस के तो एक बार तू  देख,
सच होंगें तेरे सपने सभी | 
उदास मन तेरे सोच को जमाएगा, 
तेरी हँसी तेरे दुखों को पिघलाएगा | 
तेरा मन प्रफुल्लित हो उठेगा, 
जब तू खुल कर एक बार हँसेगा | 
एक हँसी में जो बात होती है, 
वह और किसी में कहाँ होती है | 
तेरी हँसी से उड़ जाएंगे होश, 
क्यों उदास बैठा है मेरे दोस्त | 

कवि : प्रांजुल , कक्षा : 9th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपनी पढ़ाई एक अपना घर में रहकर पूरी कर रहे हैं | प्रांजुल को गतिविधियों में हिस्सा लेने में बहुत मज़ा  और मन लगाकर हर काम करता हैं | प्रांजुल बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | 

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