रविवार, 8 जुलाई 2018

कविता : गर्मी की बरसात

" गर्मी की बरसात " 

दोपहर की क्या वो बात थी ,
धूप और गर्मी की बरसात थी | 
टपक रहा था पानी टप टप, 
राहत की भीख  माँग रहे थे सब | 
सोच रहे थे कैसे छुटकारा मिल जाए, 
थोड़ा सा गर्मी का पारा कम हो जाए | 
काश  एक बार छुटकारा मिल जाए, 
इस गर्मी में काश मौसम ठंडा हो जाए | 
दोपहर की क्या वो बात थी ,
धूप और गर्मी की बरसात थी | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th ,अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं | विक्रम हमेशा खुश नज़र आते हैं और विक्रम  को कवितायेँ लिखना  बेहद पसंद हैं | 

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