बुधवार, 11 जुलाई 2018

कविता : स्वच्छ शहर बनाओ

" स्वच्छ शहर बनाओ "

सुनो सुनो ये शहर की कहानी,
जहाँ रहता है कूड़ा और गन्दा पानी |
जगह जगह पड़े रहते कूड़े का ढेर,
कूड़ा  उठाने में  कर देते हैं देर |
नजर नहीं जाती किसी की उस पर,
ख्याल नहीं आता कूड़ा है धरती पर |
धीरे - धीरे बढ़ता जा रहा कूड़े का ढेर,
सोचा नहीं किसी ने इस बारे में |
न ही ढूँढा किसी ने  कोई उपाय,
सोचा फिर भी कुछ न कर पाए |
अपने शहर को सुन्दर बनाओ,
इसको पेड़ पौधों से सजाओ |
कहीं  न छोडो कूड़ा -गन्दा पानी,
अपनी न करो कहीं पर  मनमानी
जब कहीं भी न होगा कड़ा करकट,
तब न होगी प्रदूषण का कोई संकट | 
शहर में अपने पेड़ पौधे लगाओ, 
अपने शहर को स्वच्छ शहर बनाओ | 

कवि : नितीश , कक्षा : 8th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं नितीश जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | नितीश को कविता लिखने का बहुत शौक है | इस कविता में नितीश अपने शहर को  कूड़ा मुक्त करने का सन्देश दे रहे हैं और वह अपने शहर को सुन्दर बनाना चाहते हैं और शुरुआत इस कविता से की है | 

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