सोमवार, 18 जून 2018

कविता : तितली

" तितली "

रंग -बिरंगें होती है तितली,
सुनहरे-चमकीले होती है तितली | 
फूलों पर मंडराती है तितली ,
छूने पर उड़ जाती है तितली |  
पंख फैलाकर मनोरंजन करती, 
अपने पर घमंड नहीं दिखाती | 
मन में जिज्ञासा भरती है तितली,
सबसे सुन्दर दिखती है तितली | 
रंग -बिरंगें होती है तितली,
सुनहरे-चमकीले होती है तितली | 

कवि :  अमित कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें