बुधवार, 20 जून 2018

कविता :सिख लूँ मंत्र

" सिख लूँ मंत्र "

जी चाहता है सिख लूँ मंत्र, 
बदल दूँ धरती का राजतन्त्र |  
प्रदूषण से घिरी हुई है आज,
मिटा दूँ मैं प्रदूषण का राज | 
बैठे हुए लोगों को  बता दूँ, 
करना है कुछ काम काज | 
शर्म करो ऐ दुनिया वालों, 
चाहे हो गोरे या फिर कालों |  
मिटा दो इस धरती का राजतन्त्र,
आओ सीखा दूँ तुमको मंत्र | 
जी चाहता है सिख लूँ मंत्र, 
बदल दूँ धरती का राजतन्त्र |   

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 



कवि परिचय : यह है समीर अपना घर में 5 सालों से रहकर पढ़ाई कर रहे हैं और बहुत कुछ सीखा भी है | समीर ने पढ़ाई करने के साथ - साथ कवितायेँ भी लिखना सीखा है | समीर दिल से बहुत सच्चे हैं और  कुछ भी गलत दिखता है तो उसको सुधारने की कोशिश करते हैं |  

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