रविवार, 24 जून 2018

कविता : बरसात

" बरसात "

टिप-टिप बरसा पानी,
 झम-झम बरसा पानी |
जब धरती पर है आती,
टप-टप शोर है मचाती |
बच्चे सभी ख़ुशी मनाते, 
बरसते के पानी में खूब नहाते  | 
जगह -जगह कीचड़ फैलाते, 
पानी का बौछार बहाते |  
ठण्डी -ठण्डी हवा है लातें, 
रात में मच्छर हमें सताते | 
टिप-टिप बरसा पानी,
 झम-झम बरसा पानी |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं  कुलदीप जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और इनके माता - पिता कानपुर में गृह निर्माण का कार्य करते हैं और कुलदीप अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं  | कुलदीप कवितायेँ बहुत अच्छी लिखते हैं |  बड़े होकर और कुछ बनकर कुलदीप अपने घर की आर्थिक व्यवस्था को सुधारना चाहता हैं | कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छा है | 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें