शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

कविता : " कल सोच "

 " कल  सोच "

कल का क्या सोचना, 
वो तो यूँ ही गुजर गया | 
तैयार रहना है हमें,   
जो आने वाला कल है |
कल शायद जिंदगी बदल जाए, 
और किसी की मिट जाए | 
किसने सोचा होगा उस कल का, 
क्या होगा उस दिन | 

नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं नितीश जो बिहार से हैं | कविताओं के साथ साथ टेक्नोलॉजी में बहुत मन लगता हैं | इनके कविताओं से बहुत प्रेरणा मिलती हैं | 

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