शनिवार, 20 जनवरी 2018

कविता : घूमने की आयी बारी

" घूमने की आयी बारी "

घूमने की आयी बारी, 
घूमेंगे हम दुनियाँ सारी |
दिल्ली , असम जाएंगे,
वहाँ के फल हम खाएंगे | 
नए - नए जगह हम घूमेंगे,
दोस्तों को हम बताएंगे | 
दुनियाँ की सैर हम कराएंगे,
दुनियाँ घूमने हम जाएंगे | 
घूमने की आयी है बारी,
घूमेंगे हम दुनियाँ सारी |  

नाम : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ से यहाँ रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे है | पढ़ाई बहुत मन लगाकर करते हैं बड़े होकर एक नेक इंसान बनना चाहते हैं | डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं | 

3 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'रविवार' २१ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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