बुधवार, 17 जनवरी 2018

कविता : रौशनी

" रौशनी " 

अँधेरी रात में कहीं से,
रौशनी आ रही थी | 
 ये ही वो रौशनी है जो, 
मेरी जिंदगी को दिखा रही थी | 
ये जुगनू जैसा जलता, 
मेरी जिंदगी में|  
हर मोड़ के साथ चलता,
ये कोई रौशनी नहीं |  
ये तो जिंदगी का मार्ग है, 
बस इस पर चलना मेरा | 
काम है आगे देखना, 
इसका बड़ा परिणाम है | 
नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 

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