शनिवार, 30 दिसंबर 2017

कविता : नन्हे से हाथों को "

" नन्हे से हाथों को "  

मेरे नन्हे से हाथों को, 
औज़ार भा गया | 
मेरे नन्हे से आँखों को, 
पैसे लुभा गया | 
न समझ था मुझमे, 
नाजायज फायदा उठाया गया | 
जिन आँखों में होनी चाहिए थे, 
ख्वाबों का संसार | 
तो शाम को सोते हैं, 
लेकर सुबह के विचार | 

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर 

कवि परिचय : ये हैं देवराज कुमार जो की बिहार के नवादा जिले से अपनाघर में पढ़ने के लिए आये हुआ है | ये कवितायेँ लिखने के साथ - साथ डांस भी अच्छा कर लेते हैं | पढ़ने में   भी बहुत अच्छे हैं | 

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