शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017

कविता: हैं बेचैन सभी

" हैं बेचैन सभी "

घर जाने को हैं बेचैन सभी, 
घर वाले इंतज़ार करते होंगें सभी | 
तड़प रहा हूँ यहाँ बेकरार, 
घर हो चाहे या हो बिहार | 
घर तो जाना है एक बार, 
करते होंगें मेरी फरियाद |  
आती है हर पल घर की याद | | 

कवि : संतोष कुमार , कक्षा 4th , अपनाघर 

कवि परिचय : कक्षा 4th में ही कविताएं लिखने लगे है तो ऐसा ही लगता है की आगे चलकर एक अच्छे कविता लेखन बनेगें | इस कक्षा में भी अच्छी कवितायेँ लिखते हैं | पढ़ाई करने के साथ - साथ एक कविकार बनना चाहते हैं 

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