" कोई कुछ कह रहा है "
कोई कुछ कह रहा है,
ये हवाएं जो बह रही हैं |
उड़ती चिड़ियाँ कुछ कह रही हैं,
छाय बदल भी कुछ कह रहे हैं |
रात को जुगनू कुछ कह रहा है,
नीला आसमान कुछ कह रहा है |
अब ये तारे ,ये जमीं ,ये पौधे,
ये पूरी दुनियां यही कह रही है |
हवा और नदियां बह रही हैं,
क्यों आवाज जहर बन रही है |
वो पवित्र नदी नाला बन कर,
क्यों जहर बनकर बह रही है |
जिंदगी क्यों नरक बन रही है,
रोक लो यारों ये हर कोई कह रहा है | |
नाम : देवराज कुमार ,कक्षा : 7th ,अपनाघर।
कवि परिचय -: यह बिहार के रहने वाले देवराज हैं | इन्होंने एक से एक बढ़कर कविताऍं लिखी हैं | अबतक इन्होनें लगभग ५० -६० कविताऍं लिख चुके हैं | इनको डांस करना बेहद पसंद है | क्रिकेट में छक्के बहुत मारते हैं | हर वक्त कुछ नया सिखने को चाहते है | ये कक्षा सात में पढ़ते है | अपना घर परिसर में रहकर अपनी शिक्षा को मजबूत बना रहे हैं | इनके माता - पिता ईंट भठ्ठे में बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे हैं | ये बड़े होकर एक नेक इंसान तथा एक अच्छे खेल के खिलाड़ी बनना चाहते हैं |
" आपके द्वारा प्रकाशित ये अच्छी कविता आज कविता मंच में " सोमवार 21 अगस्त 2017 को साझा की गई है.................. http://kavita-manch.blogspot.in/2017/08/blog-post_21.html पर साझा की गई है आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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