शनिवार, 13 मई 2017

कविता : अगर मैं होता साधू

"अगर मैं होता साधू " 

अगर होता मैं कोई साधू ,
दिखा देता दुनियां को जादू |
कर लेता प्रदूषण पर काबू ,
मिटा देता प्रदूषण का जादू |
साधुओं जैसा काम मैं करता,
सच्चा जादू की तरह मैं बनता |
नाम कमाता इस दुनियां में,
भर देता कुछ फल झोलिओं में |
जादू का सीख होता है निराला,
सुन लो बच्चो से प्यारा -प्यारा |
बाँट देता बच्चों को जादू ,
अगर मैं होता कोई जादू ,
कर देता प्रदूषण पर काबू |

कवि : समीर कुमार ,कक्षा : 7th ,अपनाघर 

कवि परिचय :  समीर अपनाघर के सदस्य है |  यंहा "आशा ट्रस्ट" के कानपुर केंद्र "अपना घर" में रहकर, शिक्षा ग्रहण कर रहे है। वर्तमान में ये कक्षा 7th के छात्र है। समीर को गीत गाना और लिखना अच्छा लगता है। क्रिकेट के दीवाने है, विराट कोहली इनके आदर्श है। हमें उम्मीद है कि आपको इनकी ये नवीन रचना पसंद आएगी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें