गुरुवार, 9 मार्च 2017

कविता: मैंने देखा एक सपना


"मैंने देखा एक सपना"

जन्नत जैसा घर है अपना,
मैंने देखा रात को सपना |
सपने में एक चिड़िया आई, 
उसने बोला सुन मेरे भाई |
तोता आम है मीठा खाता ,
मुझको है बहुत ललचाता |
तब तक तोता उड़ कर आया ,
अपने साथ वो आम भी लाया |
तोते ने फिर मुझसे कहा ,
मै कभी न चुपचाप रहा  |
हरे रंग का है मेरा बाल ,
चोच मेरी है मिर्च सी लाल |
आओ आम मिलकर खाए ,
दोस्ती के हम गीत गाएँ|

                                                    कवि: समीर कुमार, कक्षा 6th, कानपुर


समीर कुमार (Sameer) "अपना घर" परिवार के सदस्य है। ये उत्तर प्रदेश के इलहाबाद  के रहने वाले है। इनका परिवार ईट भठ्ठों में प्रवासी मजदूर का कार्य करते है. समीर यंहा "आशा ट्रस्ट" के कानपुर केंद्र "अपना घर" में रहकर, शिक्षा ग्रहण कर रहे है। वर्तमान में ये कक्षा 6th के छात्र है। समीर को गीत गाना और लिखना अच्छा लगता है। क्रिकेट के दीवाने है, विराट कोहली इनके आदर्श है। हमें उम्मीद है कि आपको इनकी ये नवीन रचना पसंद आएगी।


 



13 टिप्‍पणियां:

  1. बाल-सुलभ सुंदर कविता। समीर को मेरी तरफ से शुभकामनाएँ।

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ०६ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  3. बहुत सुंदर कविता लिखी है समीर आपने खूब सारा आशीष और शुभकामनाएँ।

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  4. बहुत सुन्दर‎ कविता है समीर . आप खूब पढ़ें और खूब लिखें .सस्नेह आशीर्वाद .

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  5. बहुत सुन्दर एवं सराहनीय प्रयास है समीर बेटे ! मेरी बहुत सारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं ! इसी तरह लिखते रहें ! सफलता अवश्य आपके कदम चूमेगी !

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  6. बहुत सुंदर समीर बाबू । ढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ ।

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  7. सम्पूर्ण सत्ताएं एक ही परम सत्ता और सम्पूर्ण भाव एक ही परम भाव के अंतर्भूत है. उन परम भावों का प्रादुर्भाव बालपन के उर्वरा प्रांगण में होता है. इसी बात को महाकवि विलियम वर्ड्सवर्थ ने कहा " Child is the father of man " और इसी बात को प्रमाणित किया है आपने अपनी इस रचना में!!! बधाई, आभार और शुभकामनाएं कि सृष्टि के आप सरीखे नव प्रसूनों के सुवास से साहित्य का आंगन सर्वत्र और सर्वदा सुरभित होते रहे!!!! यूँ ही लिखते रहें , सीखते रहें और साहित्याकाश में दीखते रहें !!!!

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  8. बहुत सुंदर लिखा आपनें समीर ,खूब लिखो ओर छू लो आसमां एक दिन । ढेरों आशीर्वाद ....

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  9. बहुत सुंदर कविवर समीर जी। बहुत स्वर में हो। भाव और लयबद्ध रचना। ख़ूब नाम रौशन करो

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  10. बहुत ही सुन्दर रचना....
    ढेर सारी शुभकामनाएं।

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  11. बहुत ही सुन्दर भाव पिरोये हैं ,समीर ने अपनी कविता मैं
    इन नन्हें पँखो को खुला आसमान चाहिये फिर उड़ान देखियेगा ,बधाई समीर

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  12. बहुत सुंदर ढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ

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