शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

कविता: ये साल बेहाल

" ये साल बेहाल"

जनवरी में हम सर्दी झेले,
फरवरी में शाम को खेले । 
परीक्षाएं होती है मार्च में ,
परिणाम आये अप्रैल में । 
मई है पूरा लू का महीना,
जून में आये खूब पसीना । 
जुलाई में जमकर बूंद -बांदी ,
अगस्त में मिली हमको आज़ादी । 
सितम्बर है शिक्षक दिवस का,
अक्टूबर में वध किया रावण का।
नवम्बर है बच्चों  का महीना ,
 दिसम्बर है अब आखरी महीना । 
नहीं पता चला कैसा बीता साल,
लेकिन ये साल है पूरा बेहाल ।
                                                                                       कवि: प्रांजुल कुमार, कक्षा 7th, अपना घर, कानपुर

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