मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

गर्मी 
चीखती है जिंदगी हमारी ,
गर्मियों की चलती  हवाओं में /
चल रही है जिंदगी हमारी ,
सूखे एक बूँद पानी में/
नहीं चलती थी हवाएं ,
आज से पहले किसी ज़माने में/ 
क्यों किया था ऐसा काम,
 जो सहना  पड़ा 40 का तापमान /
ये गर्मी की हवाएं होठों की मुश्कान चुरा जाती है 
हँसना चाहा तो पेट में रह जाती है /  
           नाम= अखिलेश कुमार 
            कक्षा = 6th 

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