सोमवार, 4 जून 2012

कविता :- नेता

कविता :- नेता 
भ्रष्ट है ये आज के नेता....
और भ्रष्ट है ये उनकी सरकार,
फैला रखी चारों ओर बर्बादी....
और ये जनता खड़ी लाचार,
खट्टे-मीठे ये वादे करके....
वो हमको खूब है लुभाते,
बिन सोंचे और बिन समझे....
हम भी वोट देने चले जाते,
आज की ओ युवा शक्ति....
तुम अब जाग जाओ,
भ्रष्टाचार को दूर भगाकर....
प्यारा सा एक देश बनाओ,
नाम : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9 
अपना घर

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