शनिवार, 21 अप्रैल 2012

कविता :-अचानक

अचानक 
एक दिन अचानक....
तूफान आया भयानक,  
उस तूफान के चपेट में.... 
बहुत से लोग फंस गए,
जो थे अपने खेत खलियान में....
उड़ गये वो आसमान में,
 जो गए थे अपने घर से....
घर का जीवन चलने के लिए,
वो भी नहीं वापस आ पाए....
अपने परिवार को आगे बढ़ाने के लिए,
अचानक ही सब हो जाता है....
किसी का सपना मुश्किल ही पूरा हो पता है....
एक दिन में ही अचानक,
यह घटना बड़ी हो गई भयानक....
पता नहीं इस संसार में,
जीवन है किसका कितना....
अचानक ही सब होता है,
अचानक में ही कुछ न कुछ खो जाता है....
नाम :-ज्ञान कुमार 
कक्षा :-8 
अपना घर     
 

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