शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

कविता :-सरकार हमारी है

सरकार हमारी है 
आज के इन नेताओं से....
और उनके कार्यकर्ताओं से,
परेशान हर व्यापारी है....
क्या करें ,सरकार हमारी  है,
लोग भी अब गरीब हो रहे....
गरीबी का बोझा ढ़ो रहे, 
घर घर यही बीमारी है....
क्या करें ,सरकार हमारी है,
घूँस के बल आज खड़े हैं....
घूँस से ही पले बढ़े हैं,
हर नेता अब भ्रष्टाचारी है....
क्या करें ,सरकार हमारी है,
होने न देंगे अब भ्रष्टाचार....
होगा न  किसी पर अब अत्याचार, 
संघर्ष हमारा ये जारी है....
क्या करें ,सरकार हमारी है, 
नाम :-धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा :-9 
अपना घर 

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