गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

कविता :-गुजरती जिन्दगी

गुजरती जिन्दगी 
हर किसी का बचपन खो जाता है....
पता कहाँ जाकर सो जाता है,
चाह कर भी ढूंढा नहीं जा सकता....
सिवाए पछतावे के आलावा कुछ नहीं किया सकता,
बचपन से जवानी आ जाती है....
जवानी के आते ही नई कहानी आ जाती है,
इस कहानी की रचना करते-करते....
जवानी बुढ़ापे में बदल जाती है,
तब न पेट में आंत होती न मुंह में दांत होता....
सिवाए मरने के अलावा राम का नाम होता,
हर किसी का बचपन खो जाता है....
पता कहाँ जाकर सो जाता है,
नाम :-सागर कुमार 
कक्षा :8 
अपना घर 

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