मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

कविता : हमारा देश

 हमारा देश

भारत जैसा सुन्दर देश ,
जैसा देश है वैसा वेश .....
बड़े-बड़े ऋषि मुनियों ने ,
लिया था जन्म इस देश में....
बड़े-बड़े ग्रन्थों का वर्णन ,
है यहाँ के प्रदेश में ....
नहरों -नदियों से होती है सिचाई,
येसी खेती कहीं नहीं पायी .......
भारत जैसा सुन्दर देश,
जैसा देश है वैसा वेश.....

लेखक : सोनू कुमार 
कक्षा : 10  
अपना घर     

बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

कविता : इलेक्शन

 इलेक्शन 

जब कोई कुछ सोचता है ,
अपने मन को ही क्यों नोचता है ......
अब आ गये हैं इलेक्शन ,
इस इलेक्शन में देखो क्या होता है .....
गरीब-अमीर है बन जाता ,
उतने में ही वह खुश हो जाता .....
पहले इलेक्शन में क्या होता था ,
जनता सोच समझकर वोट देती थी ......

लेखक : ज्ञान कुमार 
कक्षा :8
अपना घर    

रविवार, 19 फ़रवरी 2012

कविता : भीख मांगते नर व् नारी

 भीख मांगते नर व् नारी 

एक भिखारी हाथ पसारे ,
ज़िंदा है तो सिर्फ भीख सहारे.....
सबकी गाली सबकी बातें वह है सुनता,
अपनी दास्ताँ किसी से बयां नहीं करता....
जो कुछ मिलता ले लेता ,
पेट के बल झुक कर चलता ....
राम दुहाई हाय राम दुहाई ,
मार गयी यह हमको मंहगाई.....
डायन बनीं है सरकार हमारी ,
अब भीख मांगते नर व् नारी  .......

लेखक : आशीष कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

कविता : सब करना सीखो

 सब करना सीखो 

फूलों से तुम हँसना सीखो ,
भौंरो से तुम गाना सीखो ....
सूरज की किरणों को देखो ,
जगना और जगाना सीखो ......
कलम से लिखना सीखो ,
किताबों से पढ़ना सीखो .....
गरीबों को दान करना सीखो,
मन में त्याग करने की भावना सीखो......

 लेखक : जीतेन्द्र कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर   

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

कविता : पथ

 पथ 
 मेरा एक ही पथ है ,
आगे बढ़ने का .....
जो मुश्किलें आयें ,
उनको आगे से हटाने का....
मेरी एक ही मंजिल है ,
अपने लक्ष्य को पा लेने का ....
मेरा एक ही पथ है ,
आगे बढ़ने का ......

लेखक : चन्दन कुमार 
कक्षा : 6
अपना घर 
 
 

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

कविता : नेता

 नेता 

बरसाती मेढ़क की तरह टर्र-टर्र ,
करते हैं नेता लोग .....
आता है जब चुनाव भइया ,
 तभी दर्शन देते है जनता को नेता......
निकलते ही ढूंढ़ते हैं अपनी कुर्सी ,
और वोट मांगने जाते हैं घर-घर ......
चुनाव ख़त्म होते ही ,
दिखाई नहीं पड़ते हैं नेता .....
कई महीनो कई सालों बाद ,
दिखाई पड़ते हैं नेता ......

लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर   
  

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

जाड़ा

कविता - जाड़ा
सायंकाल में गिरि हैं ओस ,
जिसके कारण सब हो गए ठोस.....
आया हैं मौसम जाड़े का,
मोटा कपड़ा पहनो भाड़े का......
जाड़े में सभी हो जाओ शार्तक,
वरना लेट जाओगे विस्तर पकड़कर.....
सायंकाल में गिरि हैं ओस,
जिसके कारण सब हो गए ठोस.....
लेखक - ज्ञान कुमार
कक्षा - अपना घर ,कानपुर

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

कविता : आधी आजादी

 आधी आजादी 

हो गई है देश की आजादी ,
छा गया है फिर से अन्धेरा....
सोचा था कि कुछ पल कुछ दिन जी लूँ ,
करू रात को दिन जैसा उजियारा .....
पर चोर और बदमाश नेताओं ने ,
फिर से इस उजियारे को घेरा ....
गुलामी से आजादी मिली ,
फिर आजादी वो भी काली .....
फर्क बस इतना है कि ,
गोरे तो गए लेकिन काले आये......

लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर 

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

कविता : प्रदूषण

 प्रदूषण 

लोग कर रहें हैं बहुत प्रदूषण ,
फैला रखा है सभी जगह प्रदूषण....
जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण ,
सब जगह प्रदूषण ही प्रदूषण ....
जल में लोग कर रहें गंदगी,
खतरे में है अब सबकी जिन्दगी .....
वायु हो रही है प्रदूषित इतनी सारी ,
येसे तो जीवन जीना होगा भारी ......
सबसे बस यही है कहना 
प्रदूषण न तुम करना 
लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

कविता - सपना 
 सपनों में क्यों देखता है मन ,
सपने में डूब जाता हैं हमारा तन .......
 रात में आते हैं  सपने ,
 लगता हैं  सपने हो गए  हैं अपने.....
सपने में पहुँच जाते हैं आकाश में ,
 लगता हैं पहुँच गए हो सूरज तारो के पास में .....
सपने क्यों देखता हैं मन ,
 आखिर सपने क्यों आते हैं......
 बिना बताये चले आते  हैं ,
 और हम सपनो में खो जाते हैं......
 सपने क्यों देखता हैं मन   ,
सपने में डूब जाता हैं हमारा मन ......
 लेखक - मुकेश कुमार 
 कक्षा - १०  अपना घर, कानपुर