मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

कविता - सपना 
 सपनों में क्यों देखता है मन ,
सपने में डूब जाता हैं हमारा तन .......
 रात में आते हैं  सपने ,
 लगता हैं  सपने हो गए  हैं अपने.....
सपने में पहुँच जाते हैं आकाश में ,
 लगता हैं पहुँच गए हो सूरज तारो के पास में .....
सपने क्यों देखता हैं मन ,
 आखिर सपने क्यों आते हैं......
 बिना बताये चले आते  हैं ,
 और हम सपनो में खो जाते हैं......
 सपने क्यों देखता हैं मन   ,
सपने में डूब जाता हैं हमारा मन ......
 लेखक - मुकेश कुमार 
 कक्षा - १०  अपना घर, कानपुर

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