गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

कविता : आधी आजादी

 आधी आजादी 

हो गई है देश की आजादी ,
छा गया है फिर से अन्धेरा....
सोचा था कि कुछ पल कुछ दिन जी लूँ ,
करू रात को दिन जैसा उजियारा .....
पर चोर और बदमाश नेताओं ने ,
फिर से इस उजियारे को घेरा ....
गुलामी से आजादी मिली ,
फिर आजादी वो भी काली .....
फर्क बस इतना है कि ,
गोरे तो गए लेकिन काले आये......

लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें