कविता -गर्मी
गर्मी हैं आने वाली ,
सबका पसीना छुड़ाने वाली....
गर्मी में जब उगता सूरज ,
तब सबको दिखता हैं पूरब.....
गर्मी में जब पकते हैं आम ,
इसलिए आमो के कम हो जाते हैं दाम..
गर्मी हैं अब आने वाली ,
सबका पसीना हैं छुड़ाने वाली......
लेखक - ज्ञान
कक्षा - ७, अपना घर , कानपुर
पसीना भी छुड़ायेगी और आम भी खिलायेगी. :)
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता.
गर्मी आती है तो आम लाती है ..... जी मुझे बहुत पसंद है ...हलाकि गर्मी अच्छी नहीं लगती :(
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता
अप तो सर्दी मे ही गर्मी की याद दिला कर पसीनी छुडा रहे हैं। अच्छी रचना बधाई।
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