भारतवर्ष
एक राग एक ही धुन में रहते ,
गणतंत्र दिवस सभी मनाते ....
एक ही गीत को रटकर गाते ,
भारत-माता की जय-जय करते ....
जय-जय करना और नारे लगाना ,
जब मन में आये तब से सब करना ....
क्योंकि आजादी मिले हुये कई बरस ,
फिर भी धरती रही हरियाली को तरस ....
सबके सब आपस में लड़ते ,
फिर भी हिन्दुस्तान का नाम रटते ....
कहते भारत वर्ष हमारा है ,
यह हम सब को जान से प्यारा है ....
एक राग एक ही धुन में रहते ,
गणतंत्र दिवस सभी मनाते ....
एक ही गीत को रटकर गाते ,
भारत-माता की जय-जय करते ....
जय-जय करना और नारे लगाना ,
जब मन में आये तब से सब करना ....
क्योंकि आजादी मिले हुये कई बरस ,
फिर भी धरती रही हरियाली को तरस ....
सबके सब आपस में लड़ते ,
फिर भी हिन्दुस्तान का नाम रटते ....
कहते भारत वर्ष हमारा है ,
यह हम सब को जान से प्यारा है ....
लेख़क :आशीष कुमार
कक्षा :८
अपना घर
बहुत सुन्दर..वर्त्तमान व्यवस्था पर चिन्ता प्रशंशनीय..
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