शनिवार, 8 जनवरी 2011

कविता :खाऊँगा दही बड़ा


खाऊँगा दही बड़ा


मैं खाऊँगा दही बड़ा ,
खट्टा- मीठा दही बड़ा ....
खाने के लिए मैं रसोई में खड़ा ,
कब बनेगा दही बड़ा ....
तभी मेरे पीछे एक डंडा पड़ा ,
मैं खाऊँगा दही बड़ा .....

लेख़क :चन्दन कुमार
कक्षा :5
अपना घर

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