क्या हम सोच सकते हैं,
उस पक्षी की आहट।
जो बैठा है उस वृक्ष की डाल पर,
उसे आहट से परवाह नहीं ।
ये मरने के लिए बैठा हैं,
या फिर किसी का इंतजार कर रहा हैं।
न जाने क्या सोच रहा हैं,
यह हमें पता नहीं।
क्यों , निराश बैठा हैं,
क्यों यूं उदास बैठा है।
लेख़क : अशोक कुमार
कक्षा : ८
अपना घर , कानपुर
कक्षा : ८
अपना घर , कानपुर
सराहनीय रचना है .
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता .....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअनुष्का
this poym is betiful.i like it
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