गुरुवार, 11 नवंबर 2010

कविता: चलो रण भूमि पर

चलो रण भूमि पर

उठो मेरे भारत वासी,
करो न तुम अब देरी।
लेकर इस वतन की मिट्टी,
बांध लो अपनी मुट्ठी ।
अपने पथ पर चलते हुए ,
पहुचो रण भूमि पर।
आज दुश्मन है अपना ही कोई ,
जो देश को चला रहे है ।
जो लूट रहे है खसोट रहे है,
देश की मिटटी पानी को बेच रहे है।
आज करो तुम अपनी माटी की रक्षा,
चुकी खतरे में हैं आज अपनी यह भूमि।


लेख़क : अशोक कुमार
कक्षा : ८
अपना घर , कानपुर

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