मैंने देखा घोंघा ,
नाम था नकली लॉग....
पानी में वह रहता था,
नहीं किसी से डरता था.....
तभी वहां आया एनाकोंडा,
तुरन्त निकला फोड के अण्डा....
अगर निगल जाता उसको,
उसका असली नाम था डिस्को...
घोघा बड़ा हुआ था जब,
अच्छे - अच्छे जानवर डरते थे सब.....
लेख़क : सोनू कुमार
कक्षा : ९
अपना घर ,कानपुर
कक्षा : ९
अपना घर ,कानपुर
क्यूट घोंघा....प्यारी कविता
जवाब देंहटाएंshandaar
जवाब देंहटाएंसोनूकुमार जी!
जवाब देंहटाएंआपकी कविता बहुत सुन्दर है!
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तभी तो इसकी चर्चा यहाँ की है-
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/26.html
घोंघे पर सुंदर कविता रची है। बधाई।
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