गुरुवार, 28 अक्टूबर 2010

कविता : मैंने देखा घोंघा

मैंने देखा घोंघा


मैंने देखा घोंघा ,
नाम था नकली लॉग....
पानी में वह रहता था,
नहीं किसी से डरता था.....
तभी वहां आया एनाकोंडा,
तुरन्त निकला फोड के अण्डा....
अगर निगल जाता उसको,
उसका असली नाम था डिस्को...
घोघा बड़ा हुआ था जब,
अच्छे - अच्छे जानवर डरते थे सब.....
लेख़क : सोनू कुमार
कक्षा :
अपना घर ,कानपुर

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