शनिवार, 25 सितंबर 2010

कविता :सुनो-सुनो माताओं और बहनों

सुनो-सुनो माताओं और बहनों

सुनो-सुनो माताओं और बहनों ।
चोरो और लुटरों से बचकर रहना ॥
अपनी रक्षा खुद ही करना ।
पुलिश को तो है अब कुछ नहीं कहना ॥
उन्हें है अब बस ड्यूटी करना ।
चोर जब चोरी कर के भागता है ॥
तो पुलिश कुछ नहीं कर पाती है ।
जब चोर पकड़ जाता हैं ॥
आधा-आधा पैसा बट जाता है ।
सुनो-सुनो माताओं और बहनों ॥

लेख़क :सागर कुमार
कक्षा :
अपना घर

6 टिप्‍पणियां:

  1. जब चोर पकड़ जाता हैं ॥
    आधा-आधा पैसा बट जाता है ।
    सुनो-सुनो माताओं और बहनों ॥
    ...sahi kahan..pyari kavita..badhai.

    ________________
    'पाखी की दुनिया' में- डाटर्स- डे पर इक ड्राइंग !

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  2. रचना बहुत ही प्यारी है!
    --
    आपकी पोस्ट की चर्चा "बाल चर्चा मंच"
    पत्रिका पर भी है!
    http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/09/19.html

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  3. yeh kavita bachchon ke man mein chupe dar (fear) ko dikhati hai.

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