गुरुवार, 9 सितंबर 2010

कविता ऐसी कौन सी बात

ऐसी कौन सी बात
एक बात हैं बेनकाब,
जिसका नहीं किसी के पास जवाब.....
जवाब भी होता तो क्या करते,
डर के मारे इधर -उधर छिपते रहते....
यह बात जरा ध्यान से सुनो भाया,
हर बात के पीछे छिपी हैं काले धन की माया....
काला धन हो या मेहनत का पसीना,
किसी के आगे नहीं झुकता अब ये जमाना.....
सभी को अपने कामों की पड़ी हैं जल्दी,
घर में नहीं हैं तेल, नून और हल्दी....
उनको तेल, नून, हल्दी से क्या लेना -देना,
जिस तरह निरमा से अलग हो जाता फेना.....
बहुत हुआ अब बेनकाब बात बताओ,
बात बता दी पूरी सुना नहीं क्या तुम हो बहरे.....
कुआँ, नदी होती जैसी गहरी नहरे,
अब अपने आस पास यह बात बताओ....
ढोल डुग्गी पीट कर आवाज लगाओ,
भ्रष्ट नेताओं से अपना देश बचाओं .....
लेख़क: आशीष , कक्षा अपना घर कानपुर

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