मंगलवार, 31 अगस्त 2010

कविता ये हैं घनघोर आसमान

ये हैं घनघोर आसमान
ये हैं घनघोर आसमान ,
हरदम रहता सीना तान....
लेकर अपनी तलवार और कमान,
हर वक्त करता पानी की बरसात.....
दिन हो या पूर्णा की रात,
पानी की करता हैं बरसात....
ये आसमान नहीं चमन हैं,
यहाँ राजपूतो का अमन हैं....
जहाँ पानी बरसता हैं,
बिजली गरजती हैं....
तब पानी बरसता हैं,
ये हैं घनघोर आसमान....
हरदम रहता सीना तान.....
लेखक मुकेश कुमार कक्षा अपना घर कानपुर

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