शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

कविता :कैलेन्डर

कैलेन्डर

आसमान में टंगा कैलेन्डर ।
उसको पड़ रहे हाथीं-बंदर ॥
आसमान से गिरा जब बंदर ।
चिपक गया वह धरती के अंदर ॥
धरती के अंदर थे तीन बंदर ।
तीनों ने मारा तीन-तीन थप्पड़ ॥
डर के मारे घुस गया किचन के अन्दर ।
खाने लगा घी और चुकंदर ॥

लेखक :सागर कुमार ,कक्षा :,अपना घर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें