रविवार, 25 जुलाई 2010

कविता : ब्रह्माण्ड

ब्रह्माण्ड

यह ब्रह्माण्ड है कितना अनोखा ।
इसको गौर से हमने नहीं है देखा ॥
कैसा है ये ब्रह्माण्ड हमारा ।
जिसमें छोटा सा है संसार हमारा ॥
क्या कहीं और भी होगा जीवन ।
क्या वहां पर भी होगा अपना पन ॥
यह तो है एक अनोखी कहानी ।
जो अभी तक हमनें नहीं जानी ॥
मैं भी जाऊँगा एक दिन चाँद पर ।
जहाँ पर नहीं है हवा, पानी और घर ॥
ये अजीब सा ब्रह्माण्ड होगा कैसा ।
जैसा हमने सोंचा क्या होगा वैसा ॥

लेखक : धर्मेन्द्र कुमार, कक्षा : ,अपना घर

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