रविवार, 4 जुलाई 2010

कविता गर्मी

गर्मी
इस भीषण काल गर्मी में ,
सूख गयी हैं नदिया सारी....
परेशान हैं हर मनुष्य,
क्यों बरसा नहीं पानी....
इस भीषण काल गर्मी में,
अगर पानी को हैं पाना.....
तो हर हाल में होगा वृक्ष लगना,
इस भीषण काल गर्मी में.....

लेखक सागर कुमार कक्षा अपना घर कानपुर

6 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल सच कहा है आपने...पानी चाहिए तो पेड़ लगायें..तभी तो मैंने अपनी एक कविता में लिखा है कि...पेड़ हमारे जीवनदाता...इनसे जन्म जन्म का नाता.......इसलिए ...आओ ...हम सब मिलकर पेड़ लगायें....पेड़ हैं तो हम हैं..

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  2. vah re sajag prhari paryavaran ke baare me tum jo soch rahe ho to ab koi dar nahi....

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