मंगलवार, 22 जून 2010

कविता : बादल

बादल

बादल आये बादल आये ।
काले-काले बादल आये ॥
काली-काली आंधी आती ।
बरसे पानी भर आते खेत ॥
मेढक बोलते टर्र-टर्र ।
पेड़ो पर बूंदे पड़ती झम-झम-झम ॥
फल गिरते टप-टप-टप ।
घर में जब पानी भर आता ॥
घर वाले हो जाते परेशान ।
इसलिय बोलती है हमारी नानी ॥
बंद हो जाए ये पानी ।
मुझे न कर इतनी परेशानी ॥
बादल आये बादल आये ।
काले-काले बादल आये ॥

लेखक :जितेन्द्र कुमार
कक्षा :
अपना घर

4 टिप्‍पणियां:

  1. इन बदलो का इन्तजार तो सबको है बच्चो........प्यारी कविता

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी सुन्दर पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है!
    --
    http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/06/3.html

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर व प्यारी कविता..बधाई.

    ____________________________
    'पाखी की दुनिया' में 'पाखी का लैपटॉप'

    जवाब देंहटाएं