सोमवार, 15 मार्च 2010

कविता: होली

होली
होली आई होली आई
रंग बिरंगी होली आई
सबके मन में खुशिया छाई
साल में एक बार होली आती हैं
सबका मन बहलाती है
हरी ,नारंगी रंग लाती है
बच्चे पिचकारी मे रंग भरते है
रंग डालने मे किसी से नहीं डरते है
बच्चो का त्यौहार यह होता है
बच्चे रंग को नहीं खोता है
ऊचा , नीच का भाव छोड़कर
जाती , पाती का भाव छोड़कर
आपस मे मिल जाते है
एक दुसरे को अबीर लगाते है
खूब मिठाई खाते है
होली आई होली आई
रंग ,बिरंगी होली आई
गाँव ,शहर में खुशियाँ छाई
धूम ,धड़ाका खूब मचाई
होली आई होली आई
लेखक : मुकेश कुमार
कक्षा :
अपना घर ,कानपुर

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