शुक्रवार, 19 मार्च 2010

कविता :पेंड़ अगर हम बन जाएँ

पेड़ अगर हम बन जाएँ

पेड़ जैसे हम बन जाएँ ।
किसी के सहारे न रह जाएँ ॥
जीवन है सब का अलग-अलग ।
सबको एक दिन मर जाना है ॥
पेड़ अगर हम बन जाएँ ।
दूसरे के बिना जीवित रह जाएँ ॥
खुशी-खुशी के गीत गाएँ ।
दुनियाँ का मन बहलायें ॥
फूल खूब दुनियाँ को दे हम ।
दुनियाँ रहे हमेशा खुश ॥
पेड़ अगर हम बन जाएँ ।
किसी के सहारे न रह जाएँ ॥

लेखक :अशोक कुमार
कक्षा :
अपना घर

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